Monday, November 8, 2010

यकीनन ...................

यकीनन ....................
रिश्तों में जब स्वार्थ रुपी घुन लगता है ,
बना देता है जिन्दगी को एक नासूर ,
फिर वो सड़ने ,गलने लगते हैं ,
फिर सबसे बेहतर इलाज ये है कि ,
एक कैंसर के कीड़े की तरह आपको ,
पूरा का पूरा खा जाए ,उस से पहले ,
उस रिश्ते रुपी अंग को ही .........
काट कर फेक क्यों न दिया जाए ,
सड़ी हुई दुनिया के सड़े हुए लोगों ,
अभी भी वक़्त है उठ जाओ और
दो किसी जरूरत मंद को ,थोड़ी सी
हमदर्दी ,और थोडा सा प्यार
उन सबसे कहीं ज्यादा
सिर्फ और सिर्फ थोडा सा विश्वास
हम सबने सुना है ,और माना भी तो है कि
प्यार और विश्वास तो दुनिया बदल सकता है ,
एक संगमरमर को ताजमहल में बदल सकता है ,