क्या अमरों का लोक मिलेगा तेरी करुणा का उपहार?
रहने दो हे देव! अरे यह मेरा मिटने का अधिकार
Monday, October 31, 2011
एक याद
एक याद बचपन से यौवन की दहलीज , गंगा का किनारा , मौजों की कंदील , हम सब का दौड़ना ,दौड़ते हुए अर्घ्य देना , पूरे बदन का ठंडा होना ,और कॉफी का पीना जाते हुए उस टैग को देखना ..........."follow me "
आज भी यही सब देख कर आ रहा हूँ गंगा जी से। एक तश्वीर भी लगा देतीं अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देते समय का। पोस्ट ओर भी शानदार हो जाती।
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