Saturday, June 30, 2012

एक ओस की बूँद .

एक ओस की बूँद .
जो ढलकने को होती है ....
तभी सहेज लेती हूँ उसे एक पत्ते पर .......
और चलदेती हूँ 
एक नमी दिल में लेकर
इन सूखे रास्तों पर.........

नीलम मिश्रा

जो मुझे पसंद हो ........

जो मुझे पसंद हो ........
.
एक रोज तुम आये ........
और बिना बताये वो सारी चीजें तुम लाये,
एक वो स्लेट,एक टैडी की किताब,
और पीले फूल भी ...
मुझे पीले फूल हरगिज नहीं अच्छे लगते,
तुम जानते थे, फिर भी ...
मुझे तभी समझना चाहिए था ....
तुम वो सब कुछ ताउम्र नहीं करने वाले
जो मुझे पसंद हो .........

नीलम मिश्रा

Friday, June 8, 2012

धुँआ -धुँआ .........

नयन के नीर 
मेरी तकदीर 
तेरी तस्वीर 
अब सब कुछ है 
धुँआ -धुँआ .........

त्रिवेणी ......................

जब से दिल तन्हा हुआ .........
तब से दिल अपना हुआ .........

वरना बेचारा किस किस की खिदमत में मारा- मारा फिरता रहा था .

तुम क्या समझोगे

नदी की प्यास 
पेड़ों की भूख 
हवा की घुटन 
जमीन(मातृत्व) की पीड़ा 
तुम क्या समझोगे .....