Saturday, September 29, 2012

बस यात्रा खत्म....................

एक नवयौवना 
हरी कमीज ,लाल सलवार 
गुलाबी फ्रेम वाला, धूप का चश्मा
सांवले हाथ पर सफ़ेद डायल वाली घडी .
नारंगी रंग का पर्स,और टच स्क्रीन  वाला फोन,
सुन्दर सुसज्जित दिखने की भरपूर कोशिश .
पर ऑंखें उदास ,काजल भी निपट उदास 
दुनिया की सारी रंगीनी भी उदास ............

अगला स्टेशन 

एक प्रौढ़ा 
मटमैले लहंगेनुमा कपडे 
जगह जगह से आग की छीटों से जले हुए से
सिर्फ नाक में एक बड़ा सा  सोने का फूल 
सर पर बड़ी सी गठरी ,और मन में उत्साह 
आँखों में चमकीला पानी और मन में मुस्कान 
बस यात्रा खत्म....................

Wednesday, September 26, 2012

मै भी उनकी तरह तनहा हूँ

.इतनी बारिश पहले कभी नहीं देखी....
बरसते बरसते थक कर थोड़ी सांस लेते हैं .
और घर के ठीक ऊपर आकर ठहर जाते हैं .
मै हाथ बढ़ाकर बादलों को थाम लेता हूँ 
चलो अब आये हो कुछ वक़्त गुजार के जाना ...

उन्हें कैसे मालूम कि मै भी उनकी तरह तनहा हूँ 
नीलम मिश्रा

एक वो लम्हा ......

बड़ी मुश्किल से नुमाया हुआ एक वो लम्हा .........
पर आज भी उतने ही मशरूफ क्यूँ वो हुए .......
नीलम मिश्रा

Monday, September 17, 2012

या खुदा .......

या खुदा .......... 
इंसां और जानवर में फर्क 
सिर्फ एक जर्रे का ही तो होता है .....
किसी को मत करो कमजोर इतना 
कब वो जानवर बन के,
काट खाए .......

नीलम मिश्रा

एक डोरी में ..........


नाजुक एक रूई के फाहे सा
कभी , लोहे के फौलाद जैसा .....
कभी , उलझा होता पर सुलझा कभी ,
एक डोरी में ..........

नीलम मिश्रा

रिश्ते नकली ,

रिश्ते नकली ,
मुखौटे असली 
आगे अन्धकार 
उसके आगे ..........
सिर्फ खतरा है जनाब .....
नीलम मिश्रा

तुम्हे माफ़ कर दे.....

इतने दिनों बाद तुम्हे देखा 
वैसे ही हो अभी तक ...
पैसे की चर्बी जो सभी पर चढ़ती है 
तुम पर अभी तक चढ़ी क्यूँ नहीं 
सुना है सबको धता बताकर,
सबके हिस्से का हड़प रहे हो ,
वाहवाही ,नेकनामी और सारी चांदी
ईश्वर करे कि वो तुम्हे न देखे 
और तुम्हे माफ़ कर दे........
नीलम मिश्रा

उसे जालिम न कहो

उसे जालिम न कहो उसका ऐतबार करो .......

ये दिल भी भला कही सुनता किसीकी कभी है .............

नीलम मिश्रा

बोलो ता रा रा रा रा

कौवी ने कहा कौए से 
मै काली तू भी काला
तू कर्कश मै भी कर्कशा 
फिर तेरे मेरे बीच में 
झगडा कैसा यारा ........
बोलो ता रा रा रा रा 
नीलम मिश्रा :)

Sunday, September 16, 2012

अश्क मोती बनते हैं .

अश्क मोती बनते हैं .
जब वो किसी और के हो 
और आपके दामन में गिरते है ..........
नीलम मिश्रा

या खुदा .........


वो राहगीर था मेरी तरह
उसे मंजिल उसकी मिले
मुझे मंजिल अपनी
चाहे   हो राहें जुदा- जुदा
या खुदा .........