Wednesday, October 3, 2012

तुम्हारे पापा अकेले हैं ..........

तुम्हारे पापा अकेले हैं ..........

माँ आज वापस जा रही है,
.आज जब मै विदेश की यात्रा पर जाने वाला था ,तभी मेरा १२ साल का बेटा आकर पूछने लगा कि,पापा माँ तो पहले से ही बाहर है ,और अब  आप भी मै अकेले कैसे  ....उसकी बात पूरी हुए बिना मै चिल्ला पड़ा मै क्या करूँ..और अब तुम बच्चे तो हो नहीं .कुक खाना बना कर रख जायेगी तुम अब अपने आप मैनेज कर सकते हो अपने आप को .......कह कर मै निकल गया .सोचते हुए कि प्रोजेक्ट की इस मीटिंग को टाला  नहीं जा सकता .एक बार जो मीटिंग्स में उलझा तो घर की कोई सुध ही नहीं रही ,७ दिनों के बाद घर पहुंचा तो देखा कि बेटा अपनी  दादी के साथ खेल रहा है .........एक सघन वृक्ष की छाया मे जैसे छोटे पौधे स्वछंद ,बे -फिक्री से डोलते रहते हैं कुछ वैसे ही ..वो दोनों मस्त थे ...........मै माँ को देख के दोहरी प्रसन्नता से भर गया .........पर जाहिर कुछ भी न होने दिया .चुपचाप अपने आप को व्यस्त करने का उपक्रम करने लगा .
............. मन में तो आया उनकी गोद में सर रख कर बे- तहाशा रो लूं और उनसे कह दूं कि तुम वापस आ जाओ पापा के साथ .हर उस छोटी -छोटी चीज का ख़याल रखती थी तुम ,और में झल्ला पड़ता था कहते हुए कि .अब मै बच्चा नहीं हूँ,और माँ डबडबाई नजरों से मुझसे नज़र बचा कर चली जाती थी ,कितना रुलाया मैंने उन्हें , अपने आवेश को कभी भी रोक नहीं पाया ,मानो जैसे वो मेरी डांट के लिए ही  हो ,पापा को ये सब गवारा नहीं था चुपचाप देखतेऔर कुंठित होते ...........माँ थोड़ी देर में मेरे पास आकर बोली बेटा ड्राईवर से कह दो मुझे घर तक छोड़  आये.
वहाँ तुम्हारे पापा अकेले हैं .............