( दुआ )
दुआओं में है ये कितना असर ,
सिज़दे में झुके हैं उनके जो सिर
कभी उठते क्यूँ नहीं
उट्ठे हैं उनके जो हाथ ,
कभी झुकते क्यूँ नहीं
( मन )
मन तो बे- रहम
मांगे कुछ करम
चाहे कुछ असर
नहीं कोई रहम
मन तो बे -रहम
नीलम मिश्रा
वाह ....बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपके पोस्ट पर पहली बार आया हूँ । बहुत अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत अचाछा लगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteमन तो बे- रहम
ReplyDeleteमांगे कुछ करम
चाहे कुछ असर
नहीं कोई रहम
मन तो बे -रहम
..लाज़वाब है। वाह!