पहले एक माँ हूँ
मम्मा आप जा रही हो ,आप कब तक वापस आओगी अपने आंसुओं का सैलाब रोकने की कोशिश करते हुए अचानक एक सक्षम महिला की भूमिका निभाने की कोशिश करने लगी ,बेटा आप ठीक से पढ़ाई करना मम्मा आपसे दूर थोड़े ही जा रही है ,थोड़े दिनों की तो बात है ,आपकी अगली क्लास की प्रमोशन पर रिपोर्ट कार्ड लेने तो मै ही आऊंगी ,
पर आज लग रहा है कि एक माँ को कोई अधिकार नहीं कि बच्चों को अपनी ममता से दूर रखे ,अमित कहते हैं कि कुछ भी हो जाए तुम्हे अपनी आइडेन्टिटी नहीं खोनी है ,
बच्चे थोड़े दिनों में बड़े हो जायेंगे ,पर तुम्हारा करिअर एक बार चौपट तो समझो चौपट ......................
आज सुबह से ऑफिस में मन नहीं लग रहा है ,प्रोजेक्ट की रिपोर्ट तैयार करनी है पर दिमाग तो सात समंदर पार उस बेटी में डूबा है ,पूछ रही थी की आप मेरे बर्थडे में आओगी ना ,हे भगवान् क्या बिडम्बना है .मै उसकी माँ हूँ ...कोई बात नहीं शाम को बात करूंगी और उसे केक काटते हुए भी देख लूंगी ,शायद दिल को कुछ तसल्ली मिल ही जाए सोचकर काम में मन लगाने की कोशिश करने लगी ....शाम का वक़्त आ ही गया और मेरी प्यारी बेटी का केक काटने का .........
मैंने कैमरा ऑन किया सामने उदास आँखें लिए बैठी थी वो मेरी परी...उसकी आँखें सिर्फ मुझे देख रही थी मानों पूछ रही हो .......माँ तुम क्यूँ नहीं आ सकती ............मैंने सब कुछ समझते हुए भी उसे जताने की कोशिश की ,कि मै बिलकुल उसके पास हूँ ,सो कम ऑन ,मम्मा का "गुड्डा गरला" जल्दी से केक काटो मुझे बड़ी जोर कि भूख लगी है ,मै तो सारा केक खा जाऊंगी ,पर वो कुछ नहीं बोली,पास होने पर कहती है कि ,,नहीं पहले मेरे सारे फ्रेंड्स,.... बाद में तुम्हे और पापा को ...
पर आज उसने कुछ नहीं कहा उसे पता है कैमरे से देख तो सकते हैं पर केक नहीं ...........
केक काटते समय उसके गालों पर लुढके मोती देख कर मैंने तुरंत कैमरा ऑफ कर दिया और फफक फफक कर रो पड़ी,सोच रही हूँ "रेजिग्नेसन "दे कर वापस चली जाऊं पर दूसरे ही क्षण दिमाग में आया कि कितनी महिलायें ऐसी हैं जो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती ......मुझे पति और बच्चों से पूरा सहयोग है ....पर मै एक माँ भी हूँ ,कोई तो समझो मुझे कह कर फिर से चीख चीख कर रोने लगी ....
करिअर बनाम बचपन.. आज के दौर में अधिकतर बार हार केवल बचपन की ही हो रही है... पता नहीं क्यों.. पैसा का मोह..शायद..
ReplyDeleteकमाल है.. पहले आप पढ़ेंगी.. फिर कमेंट पोस्ट करेंगी... :-)
ReplyDelete"राईट टू स्पीच" की धज्जियाँ उड़ा दी.. :-)
kuchh pane ke liye kuchh nahi "bahut kuchh" khona hota hai....!!
ReplyDeleteअरे...! कहां चली गईं सात समुंदर पार..!!
ReplyDeletehum to yahin hain ..wo to kahani ki naayika gayi hai ....
ReplyDeleteओह..तब ठीक है। वैसे कहानी में माँ-बेटी का दुःख गहरा आघात पहुंचाता है। ऐसी बातें काहे को सोचती हैं ? बिटिया पढ़ेगी तो रूठ जायेगी।
ReplyDeletebitiya jaanti hai ki kis saheli par likhi gayi hai ye kahaani ...........ab wo in baaton par roothne se thodi jyada badi ho gayi hai ...
ReplyDeleteshukara hai..
ReplyDeleteki post padhne ke baad comments bhi padh liye...
warnaa ye rahaa sahaa comment bhi naa ho paataa.....
impressive ......
ReplyDeleteसुन्दर कहानी। ये जीवन भी बड़ा ड्रामा होता है। कभी लगता है हर पल खुशी का खज़ाना है और कभी बस समझौतों का दूसरा नाम लगता है।
ReplyDeleteaap sabhi ko bahut bahut dhnyavaad ...........
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