.इतनी बारिश पहले कभी नहीं देखी....
बरसते बरसते थक कर थोड़ी सांस लेते हैं .
और घर के ठीक ऊपर आकर ठहर जाते हैं .
मै हाथ बढ़ाकर बादलों को थाम लेता हूँ
चलो अब आये हो कुछ वक़्त गुजार के जाना ...
उन्हें कैसे मालूम कि मै भी उनकी तरह तनहा हूँ
नीलम मिश्रा
बरसते बरसते थक कर थोड़ी सांस लेते हैं .
और घर के ठीक ऊपर आकर ठहर जाते हैं .
मै हाथ बढ़ाकर बादलों को थाम लेता हूँ
चलो अब आये हो कुछ वक़्त गुजार के जाना ...
उन्हें कैसे मालूम कि मै भी उनकी तरह तनहा हूँ
नीलम मिश्रा
सुंदर , दिलचस्प मनोभाव .. मेरे भी ब्लॉग पर आये
ReplyDeleteफोन करके पूछ न लीजिए।:)
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