कैसे -कैसे सवालात लेकर हम घर से निकले !
जो आज भी हमारे साथ हैं
उन सवालों का कोई जवाब नहीं है किसी के पास !
क्यूँ जिन्दगी जीती जानी है ?
क्यूँ उमीदें मरती जानी हैं ?
क्यूँ किस्मत हमको बार बार आजमाती है ?
क्यूँ हमे दरियादिली देकर ,
तंगदिली अपनानी है ,
क्यूँ
बे - बजह
बे -रास्ता
बे - मंजिल
हमे चलते जानी है
वो जिन्दगी जो शुरू हुई ,
और ख़तम भी हुई
अभी यहीं से !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
क्या कहें...?
ReplyDeleteजब कोई जिंदगी कि बात करता है तो..
जिंदगी के बारे में सोचने लग जाते हैं...
जिंदगी भी कितनी लम्बी होती है ना....?
जिंदगी भर चलती है...
अनगिनत क्यूँ हैं पर जवाब कौन देगा ..
ReplyDeleteसुन्दर रचना