Sunday, May 20, 2012

थोड़ी तारीफ़ भी रखना सीखो अपने दामन में 
थोड़े गम भी देना सीखो अपने दामन से .......

जिन्दगी का व्यापार करना कब सीखोगी तुम

Wednesday, May 9, 2012


निश्चिन्त और आश्वस्त 
थी मै ..........
अब तुम आ गए हो
 तुम्ही  सम्हालो 
मेरी सारी
 वे-वजह की चिंताएं ,
परेशानियाँ मेरे जीवन की सारी ,
नाकामियाँ...........
तुमने कहा कभी नहीं 
पर समझते  समझते  उम्र चुक गयी 
तुम नहीं चाहते थे एक परजीवी बेल 
जो बरगद की छाँव में अपनी ख़ुशी ढूंढती रहे 
नीलम मिश्रा

Tuesday, May 8, 2012

बस थोड़ी देर और .........

बस थोड़ी देर और .........
यही कहते रहे तुम ........
और मै समय के टुकड़े 
  टॉफी के रैपरकी तरह 
 तुम्हारी जेब में रखती रही .

 नीलम मिश्रा 


  दिन जैसे जैसे उम्र की संध्या की ओर बढ़ते  है

न जाने क्यूँ हम उन्हें और याद करने लगते हैं

अब वक़्त की किल्ल्लत और खुदा की मिन्नत का  लेखा जोखाकौन करे

neelam mishra 


Saturday, May 5, 2012

धूप

 ऊंचे मेहराबों से उतरती हुई

. गुजरती हुई सफ़ेद बालों के बीच से

 ठिठक कर खड़ी हो जाती अनायास

 नहीं जानती कि किस तरफ मुड़ना है

 देखना है किस तरफ .......

 बस हलकी सी यादों की दस्तक देती हुई

 गुजर जाती है ,किसी सिसकी के साथ