रोज दुपहरी में छत पर आकर ,
दाना खाता,हमे निहारता ,
मानो पूछता हो कैसी हो ,
सब खैरियत तो है ,
हस देती कितनी फिक्र है तुम्हे .......
एक बात आज तक समझ में नहीं आई ,
इसकी घडी कभी खराब नहीं होती ?????
इसे कभी घड़ीसाज के पास जाते
तो आज तक देखा नहीं
क्या अमरों का लोक मिलेगा तेरी करुणा का उपहार? रहने दो हे देव! अरे यह मेरा मिटने का अधिकार