Monday, April 4, 2011

मिलने वाले बिछड़ गए

मिलने वाले बिछड़ गए ,

बिछड़े तो किधर गए ,

जाने वो न जाने हम

रास्ते अपने ,मंजिल अपनी ,

अब क्या सोचो कहाँ गए,

मिले कभी ,तो गिला न करना
कहना उनसे सदा यही,

गुजर रहे थे ,
अरे बस यूँ ही ,
बस इधर ही­

4 comments:

  1. गुजरे हैं फिर करीब से वो उठा के हाथ
    करते थे बात देर तक जो मिला के हाथ

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  2. "चलो हम यादों में बस जाते हैं ,
    आने जाने का सिलसिला ना होगा ,
    और तुमसे भी कोई गिला ना होगा ."

    दोस्ती पर सवाल है जी यह तो . भूलने वालों से बड़ी मीठी शिकायत है :). बहुत बढिया नीलम जी .

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  3. गुजरे हैं फिर करीब से वो उठा के हाथ
    करते थे बात देर तक जो मिला के हाथ
    बहुत बढिया नीलम जी .

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