Thursday, August 5, 2010

दामन -ए -कोह

दामन -ए -कोह था ,
वो जन्नत का नूर था
कोह -ए नूर था ,
कभी जो काश्मीर था...............

4 comments:

  1. waqai, daman-e-koh hai kashmeer, badnaseebee se aaj baraf ubal rahee hai aur wadiyan suron se nahee dhamakon se goonj rahee hain, bahut badhiya likha hai aapne

    ReplyDelete
  2. हमारा काश्मीर तो आज भी कोहिनूर ही है नीलम जी..

    बस ...ज़रा हालात सही नहीं है अपने कोहिनूर के...

    कोहिनूर और इसकी हिफाजत में खड़े जवानो के लिए हम तो सिर्फ दुआ कर सकते हैं..

    ReplyDelete
  3. रत्नाकर जी ब्लॉग पर आने का शुक्रिया बस आते रहिये ...........
    मनु जी जवानों और आम लोगों से कहीं आगे बढ़ चुकी है है ये जंग,
    कुछ सियासतदानों का तमाशा है ,
    वहाँ की जनता और जवान उनकी कठपुतली हैं बस ............

    ReplyDelete
  4. kitni chhoti ...par kitni damdaar baat!

    www.gaurtalab.blogspot.com

    ReplyDelete