Saturday, June 30, 2012

एक ओस की बूँद .

एक ओस की बूँद .
जो ढलकने को होती है ....
तभी सहेज लेती हूँ उसे एक पत्ते पर .......
और चलदेती हूँ 
एक नमी दिल में लेकर
इन सूखे रास्तों पर.........

नीलम मिश्रा

1 comment:

  1. एक नमी दिल में लेकर
    इन सूखे raston par..

    bahut khub

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