एक ओस की बूँद .
जो ढलकने को होती है ....
तभी सहेज लेती हूँ उसे एक पत्ते पर .......
और चलदेती हूँ
एक नमी दिल में लेकर
इन सूखे रास्तों पर.........
नीलम मिश्रा
जो ढलकने को होती है ....
तभी सहेज लेती हूँ उसे एक पत्ते पर .......
और चलदेती हूँ
एक नमी दिल में लेकर
इन सूखे रास्तों पर.........
नीलम मिश्रा
एक नमी दिल में लेकर
ReplyDeleteइन सूखे raston par..
bahut khub