हमारा भी दिल का ही मसला है जनाब ,
१७ साल की उम्र से परहेज और दवाइयों के साथ जिन्दगी के ३९ बसंत देख चुकी हूँ ,अभी बहत कुछ बाकी है करने को,तो जनाब" दिल ही तो है न संग दे "पर इसकी मजाल हम भी जिद्दी और अड़ियल ठहरे ,तो कुछ भी हो जीना तो है ही ,३८ वे बसंत में इतने झटके शरीर ने खाए की दिल और दिमाग आपस में जंग करने लगे की कोई भी दुरुस्त नहीं रहेगा ,पर उन्हें अहसास नहीं कि गोया किसके शरीर में घुसे हैं ,
एस्कॉर्ट्स के एक डॉक्टर से तसल्ली मिली कि अभी बलूनिंग से काम चलाया जा सकता है ,कुदरत का करिश्मा देखिये
कि डॉक्टर भी वही जिसने कभी लखनऊमें ऑपरेशन किया था ठीक २० साल पहले (मानना पड़ा कि दुनिया बहुत छोटी है )
सारी बातों से निपटने के बाद ,आराम फरमा रहे थे कि सामने वाले बिस्तर पर एक पाकिस्तानी दम्पति आये छोटा सा बेटा साथ में था ,उसकी सर्जरी होनी थी ,हमने उनसे सब मालूमात कि सिर्फ इस अहसास के लिए इस वतन में भी उनकी फिकर दूसरों को भी है ,जब हम वापस मुड़ने लगे तो उन्होंने पूछा ,
जी आपका क्या मसला है ?
हमने मुस्कुराते हुए जवाब दिया
जी हमारा भी दिल का ही मसला है
कही गजल की ये लाइनें काफी करीब हैं ,
वो उम्र कम कर रहा था मेरी ,
मै साल अपने बढ़ा रहा था
खुदा हाफ़िज
नीलम जी , आप पोस्ट डालती रहें । आपका लेखन भावपूर्ण है ।
ReplyDeleteधन्यवाद अरुणेश जी ,प्रयास जारी रहेगा
ReplyDeleteदिल कि बात भी क्या कही आपने...
ReplyDeleteदिल का कभी कोई ऐतबार होता भी है....?
पाकिस्तानी दम्पति को आपका दिया जवाब बहुत मजेदार लगा हमें..
''जी, हमारा भी दिल का ही मसला है''
२० साल पहले के डॉक्टर से मुलाक़ात का संयोग भी खूब रहा..
दिल कि बात भी क्या कही आपने...
ReplyDeleteदिल का कभी कोई ऐतबार होता भी है....?
पाकिस्तानी दम्पति को आपका दिया जवाब बहुत मजेदार लगा हमें..
''जी, हमारा भी दिल का ही मसला है''
२० साल पहले के डॉक्टर से मुलाक़ात का संयोग भी खूब रहा..
:(
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