क्या अमरों का लोक मिलेगा तेरी करुणा का उपहार? रहने दो हे देव! अरे यह मेरा मिटने का अधिकार
चाहत की बुलंदी पर पहुंचे हैं अहल-ए-इश्क,यकीनन इश्क के दर्द का सानी नहीं होता. बहुत खूब नीलम जी. लगता है किसी की यादों में डूब कर लिखा है आपने.
शुक्रिया पूजा, इसे पूरा करो please .
नीलम जी . अच्छा लिखा है ।
चाहत की बुलंदी पर पहुंचे हैं अहल-ए-इश्क,
ReplyDeleteयकीनन इश्क के दर्द का सानी नहीं होता.
बहुत खूब नीलम जी. लगता है किसी की यादों में डूब कर लिखा है आपने.
शुक्रिया पूजा, इसे पूरा करो please .
ReplyDeleteनीलम जी . अच्छा लिखा है ।
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