Tuesday, May 4, 2010

बेमानी नहीं होता

बेमानी नहीं होता
रूह से रूह का रिश्ता बेमानी नहीं होता ,
कहीं जंगल तो कहीं पानी नहीं होता ,
ये जो दरिया है या समंदर है ,पुरसुकूं है ,
वो तेरे जाने से भी कभी खाली नहीं होता

3 comments:

  1. चाहत की बुलंदी पर पहुंचे हैं अहल-ए-इश्क,
    यकीनन इश्क के दर्द का सानी नहीं होता.

    बहुत खूब नीलम जी. लगता है किसी की यादों में डूब कर लिखा है आपने.

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  2. शुक्रिया पूजा, इसे पूरा करो please .

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  3. नीलम जी . अच्छा लिखा है ।

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