Thursday, September 22, 2011

( दुआ )
दुआओं में है ये कितना असर ,
सिज़दे में झुके हैं उनके जो सिर
कभी उठते क्यूँ नहीं
उट्ठे हैं उनके जो हाथ ,
कभी झुकते क्यूँ नहीं

( मन )
मन तो बे- रहम
मांगे कुछ करम
चाहे कुछ असर
नहीं कोई रहम
मन तो बे -रहम
नीलम मिश्रा

4 comments:

  1. वाह ....बहुत सुन्दर

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  2. आपके पोस्ट पर पहली बार आया हूँ । बहुत अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  3. बहुत अचाछा लगा । धन्यवाद ।

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  4. मन तो बे- रहम
    मांगे कुछ करम
    चाहे कुछ असर
    नहीं कोई रहम
    मन तो बे -रहम
    ..लाज़वाब है। वाह!

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