क्या अमरों का लोक मिलेगा तेरी करुणा का उपहार?
रहने दो हे देव! अरे यह मेरा मिटने का अधिकार
Friday, September 2, 2011
अपने देश का सावन बाकी है अभी ...........
काले बादल पर उड़ते वो काले पंछी
काली रातों की वो उजली मस्ती ........
पत्तों की सरसराहट ने कह दिया है जैसे उनके कानों में
ए दिल कहीं मत चल अभी ............
अभी तो अपने देश का सावन बाकी है अभी ...........
बढ़िया बहाना है अपने देश से जुड़े रहने का
ReplyDeleteसावन जैसे घोड़े की तरह ADHAAI चल चलता है..उस पर..बहुत सुन्दर क्षणिका लिखी है नीलम जी...
ReplyDeletebahut sunder ...vichaar neelam ji..//
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