Friday, September 2, 2011

अपने देश का सावन बाकी है अभी ...........

काले बादल पर उड़ते वो काले पंछी
काली रातों की वो उजली मस्ती ........
पत्तों की सरसराहट ने कह दिया है जैसे उनके कानों में
ए दिल कहीं मत चल अभी ............
अभी तो अपने देश का सावन बाकी है अभी ...........

3 comments:

  1. बढ़िया बहाना है अपने देश से जुड़े रहने का

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  2. सावन जैसे घोड़े की तरह ADHAAI चल चलता है..उस पर..बहुत सुन्दर क्षणिका लिखी है नीलम जी...

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  3. bahut sunder ...vichaar neelam ji..//

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