कभी माँ ने सिखाये थे .
कच्चे टाँके ,पक्के टाँके ,
बखिया और तुरपन का
इतिहास और महत्व ,
पर आज समझ पा रही हूँ ,
जिन्दगी के रिश्तों में ,
कब लगने हैं कौन से टाँके ,
कब सीना है किस जख्म को कैसे
और कब बिना किसी पैबंद के पाबन्द
करनी है जिन्दगी .............
नीलम मिश्रा
कच्चे टाँके ,पक्के टाँके ,
बखिया और तुरपन का
इतिहास और महत्व ,
पर आज समझ पा रही हूँ ,
जिन्दगी के रिश्तों में ,
कब लगने हैं कौन से टाँके ,
कब सीना है किस जख्म को कैसे
और कब बिना किसी पैबंद के पाबन्द
करनी है जिन्दगी .............
नीलम मिश्रा
वाह!
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