Friday, June 7, 2013

जिन्दगी ...................

कभी माँ ने सिखाये थे .
कच्चे टाँके ,पक्के टाँके ,
बखिया और तुरपन का 
इतिहास और महत्व ,
पर आज समझ पा रही हूँ ,
जिन्दगी के रिश्तों में ,
कब लगने हैं कौन से टाँके ,
कब सीना है किस जख्म को कैसे 
और कब बिना किसी पैबंद के पाबन्द 
करनी है जिन्दगी .............

नीलम मिश्रा

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