क्या अमरों का लोक मिलेगा तेरी करुणा का उपहार? रहने दो हे देव! अरे यह मेरा मिटने का अधिकार
पहचाने जाएँ शायद...पर उस शिद्दत से शायद बिलकुल नहीं...
हम्म!!! मुश्किल है कि कोई पहचाने हमें...!बहुत गहरी सोच नीलम जी, कम शब्दों में समेटी हुई. बधाई.
पहचाने जाएँ शायद...
ReplyDeleteपर उस शिद्दत से शायद बिलकुल नहीं...
पहचाने जाएँ शायद...
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हम्म!!! मुश्किल है कि कोई पहचाने हमें...!
ReplyDeleteबहुत गहरी सोच नीलम जी, कम शब्दों में समेटी हुई. बधाई.