Sunday, July 10, 2011

तुम क्यूँ समझोगे ?????

तुम क्यूँ समझोगे ?????

कितनी बार मना किया ,
कि
ऐसे नहीं करते
कि
कभी किसी पर भी
बेवजह फब्तियां नहीं कसते
पर
तुम तो तुम थे ,
सुधरने की भी कोई गुज्जाइश कहाँ थी ??
सोचती रही ,
शायद आज नहीं तो कल तुम समझ जाओगे
कि
हम सब एक ईश्वरीय अंश हैं ,
सब ईश्वर
कि
एक श्रेष्ठ कृति हैं ,
पर तुम्हारे अहम औए तुम्हारे झूठे स्वाभिमान ने
तुम्हे शायद स्वयम सीखा दिया
कि
" अहम ब्रह्मास्मि "
अब तुम्हे कौन समझाए
कि
ब्रह्मा जी ने भी गलतियाँ तो की ही थी ...........

4 comments:

  1. तुम्हारे अहम औए तुम्हारे झूठे स्वाभिमान ने
    तुम्हे शायद स्वयम सीखा दिया
    कि
    " अहम ब्रह्मास्मि "
    अब तुम्हे कौन समझाए
    कि
    ब्रह्मा जी ने भी गलतियाँ तो की ही थी ........superb , behtareen rachna

    ReplyDelete
  2. sudharne ki gunjaaish sabme hoti hai..........good di

    ReplyDelete
  3. rashmji ji ...........shukriya aap aise hi hausa badhaate rahiye .

    thanks,with love to rashmi .............

    ReplyDelete
  4. " अहम ब्रह्मास्मि "

    kya kahne hain:)
    bahut sahi baat!!

    ReplyDelete