चलो ऐसा कर लें कुछ
यादों के झरोखों में जब तुम आते हो ,
संग अपने कितनी और शामें लाते हो ,
याद करती हूँ और कितनी ही उन बातों को
जो न तो तुमने कहीं ,न हमने सुनी कभी ,
पर कुछ तो था कि छूटता ही नहीं ,
तुम्हारी गिरफ्त से न मेरी कमजोर पकड़ से ,
चलो आज ऐसा कर ले कुछ
तुम और हम एक और शाम सजाएं ,
न तुम कुछ कहो न हम कुछ सुने
बस एक दूसरे के कंधे पर रखे सर ,
और सुनते रहे दूर से आती उस
मुरली की आवाज वो धुन ,
जो आज भी तुन्हारी और मेरी
साँसों में बसती है ..................
badi hi komal abhivyakti
ReplyDeletewaah bahut sundar...
ReplyDeleteसकारात्मक सोच के साथ गहरी अभिव्यक्ति .....सुन्दर रचना
ReplyDeleteतुम और हम एक और शाम सजाएं ,
ReplyDeleteन तुम कुछ कहो न हम कुछ सुने
बस एक दूसरे के कंधे पर रखे सर ,
और सुनते रहे दूर से आती उस
मुरली की आवाज वो धुन ,
जो आज भी तुन्हारी और मेरी
साँसों में बसती है
bahut badhiya