Wednesday, July 13, 2011

तथास्तु ....................(ऐसा ही हो )

तथास्तु ..........(ऐसा ही हो )

क्यूंकि हँसना जरूरी है
हँसो अपने आप पर ,
अपनी नाकामियों पर ,
अपने दुचिन्तन पर ,
अपनी दुश्वारियों पर ,
अपनी कुंठाओं पर ,
अपनी स्वार्थपरता पर ,
अपनी चाटुकारिता पर ,
अपनी क्षुद्र संकीर्णता पर
या फिर
अपनी अस्वस्थ मानसिकता पर
.......................................

दूसरों पर कभी मत हँसो ............
हँसना ही है तो
दूसरों की दूसरों को नाकामयाब करने कि कोशिश पर
उनकी गन्दी राजनीति के दांवपेंच पर
उनकी झूठी छल प्रपंचना पर
उनके किये गए तिरस्कार पर
उनके हतोत्साहित मनोभाव पर
उनके भेदभाव पर ,,उनके जातिवाद पर
याद करते हुए कि इससे पहले खुल कर कब हसे थे ,
कोशिश करो कि इस बार पहले से ज्यादा ही हँसो
इस उम्मीद के साथ कि अगली बार न हो
कोई भी वजह इनमे से हँसने की.............
तथास्तु ....................

2 comments:

  1. काश हम अपने ऊपर हंस सकते..!
    ..उम्दा सोच।

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  2. apne upar hansne ki kala hum sab ko aati hai.par hum hansna chaahte hi nahi shaayed..............

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